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Wednesday, November 20, 2013

ठहराव!

कितना मुश्किल है,
किसी भी इंसा के लिये,
चलते चलते,रूक जाना
खुद ब खुद!

थक कर चूर,
कुछ मुसलसल चलने वाले
चाहते थे रूकना!
कभी,छाँव न मिली,
कभी रास न आया थकना।

मेंने कहा,अब रूक भी जाओ,
कोई,इक थोडी देर,
बस यूँ ही ज़रा,
वो बोले,
मगर कैसे?


जैसे,खोल दे कोई,
बंद मुठृठी को, मैंने कहा

वो  बोले,घबराकर,
मगर कैसे?

सच में कितना मुश्किल होता है,
जिन्दगियों का आसां होना।

रूके कोई क्यूं,
मौत के आगोश,से,
पहले भला!

चलते रहने का,क्यूँ
यूँ हीं चले ये सिलसिला?

Thursday, June 10, 2010

पेड! "बरगद" का!

आपने बरगद देखा है,कभी!

जी हां, ’बरगद’, 

बरर्गर नहीं,

’ब र ग द’ का पेड!

माफ़ करें,
आजकल शहरों में,
पेड ही नहीं होते,
बरगद की बात कौन जाने,

और ये जानना तो और भी मुश्किल है कि,
बरगद की लकडी इमारती नहीं होती,

माने कि, जब तक वो खडा है,
काम का है,

और जिस दिन गिर गया,
पता नही कहां गायब हो जाता है,

मेरे पिता ने बताया था ये सत्य एक दिन!
जब वो ज़िन्दा थे!

अब सोचता हूं, 


मोहल्ले के बाहर वाली टाल वाले से पूछुंगा कभी,
क्या आप ’बरगद’ की लकडी खरीदते हो?


भला क्यों नहीं?


क्या बरगद की लकडी से ईमारती सामान नहीं बनता?


 पता नहीं क्यों!




Wednesday, December 2, 2009

तीरगी का सच!

Little late for anniversary of 26/11 notwithstanding रचना आप के सामने hai :

इस तीरगी और दर्द से, कैसे लड़ेंगे हम,
 मौला तू ,रास्ता दिखा अपने ज़माल से.


मासूम लफ्ज़ कैसे, मसर्रत अता करें,
जब भेड़िया पुकारे मेमने की खाल से.


चारागर हालात मेरे, अच्छे बता गया,
कुछ नये ज़ख़्म मिले हैं मुझे गुज़रे साल से.


लिखता नही हूँ शेर मैं, अब इस ख़याल से,
किसको है वास्ता यहाँ, अब मेरे हाल से. 


और ये दो शेर ज़रा मुक़्तलिफ रंग के:



ऐसा नहीं के मुझको तेरी याद ही ना हो,
 पर बेरूख़ी सी होती है,अब तेरे ख़याल से.


दो अश्क़ उसके पोंछ के क्या हासिल हुया मुझे?
खुश्बू नही गयी है,अब तक़ रूमाल से.





Saturday, June 27, 2009

शायद सच हो!


Abraham Lincoln was elected to Congress in 1846.
John F. Kennedy was elected to Congress in 1946.


Abraham Lincoln was elected President in 1860.
John F. Kennedy was elected President in 19 60.


Both were particularly concerned with civil rights.
Both wives lost their children while living in the White House.


Both Presidents were shot on a Friday.
Both Presidents were shot in the head.


Now it gets really weird.


Lincoln 's secretary was named Kennedy.
Kennedy's Secretary was named Lincoln .


Both were assassinated by Southerners.
Both were succeeded by Southerners named Johnson.


Andrew Johnson, who succeeded Lincoln , was born in 1808.
Lyndon Johnson, who succeeded Kennedy, was born in 1908.


John Wilkes Booth, who assassinated Lincoln , was born in 1839.
Lee Harvey Oswald, who assassinated Kennedy, was born in 1939.


Both assassins were known by their three names.
Both names are composed of fifteen letters.

Now hang on to your seat.

Lincoln was shot at the theater named 'Ford.'
Kennedy was shot in a car called ' Lincoln ' made by 'Ford.'

Lincoln was shot in a theater and his assassin ran and hid in a warehouse.
Kennedy was shot from a warehouse and his assassin ran and hid in a theater.

Booth and Oswald were assassinated before their trials.

And here's the kicker...

A week before Lincoln was shot, he was in Monroe, Maryland.
A week before Kennedy was shot, he was with Marilyn Monroe.

एक e-mail के ज़रिये मिला अनोखा सच! शायद सच हो!

Saturday, May 30, 2009

चुनिन्दा मुक्तक पुराने पन्नों से!


अच्छा हुआ के आप भी जल्दी समझ गये,
दीवानगी है शायरी कोई अच्छा शगल नहीं!

मेरी बर्बादी में वो भी थे बराबर के शरीक
हां वही लोग, जो मेरी मय्यत पे फ़ूट के रोये।

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मैं अपनी ज़िन्दगी से डर गया था,
मगर जो जी मे आया कर गया था।

पुकारते थे तमाम लोग नाम जिसका,
वो आदमी दर असल में मर गया था।

मैं वहां सज़दा अगर करता तो कैसे?
था वो मशहूर पर मेरे लिये वो दर नया था।

   

Wednesday, May 27, 2009

मृत्यु का सच!


मर के भी  कब्र में क्यों है बेचैनी,
वो खलिश अज़ीब किस्म की थी.

चारागर मशरूफ़ थे ईलाज-ए- मरीज-ए-रुह में,
बीमार पर जाता रहा तकलीफ़ उसको को जिस्म की थी.

किस्सागो कहता रहा ,रात भर बातें सच्ची,
नींद उनको आ गयी, तलाश जिन्हें तिलिस्म की थी.