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Wednesday, April 21, 2010

मुर्ग मुस्सलम और पानी!

खुली जगह जैसे लान या टेरस आदि में रखें 










































Select a Pot which is wide enough for the birds .












मेरे एक अज़ीज़ दोस्त का 
SMS आया,
लिखा था,

"भीषण गर्मी है,
भटकती चिडियों के लिये,
आप रखें,


खुली जगह,और बालकनी में,
पानी!"


"ईश्वर खुश होगा,
और करेगा,
आप पर मेहरबानी!"

मैं थोडा संजीदा हुया,
और लगा सोचने,

मौला! ये तेरी कैसी कारस्तानी?
ये मेरा जिगर से प्यारा दोस्त,
मुझसे क्यूं कर रहा है,छेडखानी!

पूरे का पूरा मुर्ग खा जाता है,
वो भी सादा नहीं,सिर्फ़ ’मुर्ग मसाला-ए-अफ़गानी’

तो क्या कहूं इसे,
इंसान की नादानी?
या दस्तूर-ए-दुनिया-ए-फ़ानी! 

कैसा दिल है इंसान का?
मुर्ग को ’मसाल दानी’!
और भटकते परिंदो को "पानी"!
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PS: Immediately after the writing this, thought I  kept the Pots as seen in the post. You all may like to do the same, because jokes apart we will help the poor birds by doing so:


वैसे भी :
एक ने कही, दूजे ने मानी,
गुरू का कहना दोनो ज्ञानी|