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Tuesday, September 28, 2010

चांदनी रात और ज़िन्दगी!

खुशनुमा माहौल में भी गम होता है,
हर चांदनी रात सुहानी नहीं होती।

भूख, इश्क से भी बडा मसला है,
हर एक घटना कहानी नहीं होती।

दर्द की कुछ तो वजह रही होगी,
हर तक़लीफ़ बेमानी नही होती।

श्याम को ढूंढ के थक गई होगी,
हर प्रेम की मारी दिवानी नही होती।

शाम होते ही रात का अहसास,
विदाई सूरज की सुहानी नहीं होती।

हर इंसान गर इसे समझ लेता,
ज़िन्दगी पानी-पानी नहीं होती। 



Saturday, October 10, 2009

मानव योनि!

चौरासी लाख योनिओं में,
शायद ’प्रेत’योनि भी एक है!
या शायद नहीं है?

पता नही!

पर मैं ये जानता हूं कि,
हर देह धारी मनुष्य
प्रेत योनी का सुख उठा सकता है,

अरे आप तो हैरान हो गये,
प्रेत योनि और सुख?
जी हां!

दर असल ये समझना ज़रूरी है कि,
मानव योनि के कौन कौन से कष्ट है,
जो प्रेत योनि में नहीं होते.

सम्वेदना,लगाव,
स्नेह,विरह,कामना,
ईर्ष्या,स्पर्धा,लालसा,
भय,आवेग,करुणा,
आकांछा,और हां

"सब कुछ सच सच जान लेने की ख्वाहिश"!

ये कुछ ऐसी अजीबो गरीब भावनायें हैं,
जो इन्सान के कष्ट का कारण होती है,

प्रेत योनि में ये दुख कहां,
तभी तो मानव देह धारी हो कर भी,
प्रेत योनि की प्रसंशा करते हुये,
उसी की प्राप्ति की ओर अग्रसर हूं!



Tuesday, May 19, 2009

हम बोलेगा तो बोलोगे,के बोलता है!

’IndiBlogger.in’ पर हुये एक discussion के अन्श.पहला विचार मेरा है, और दूसरा उस पर प्रतिक्रिया.

बहस का मुद्दा ये था कि लोग Blogging क्यों करते हैं?

MY views:

As I understand it,each soul is living under a veil ,creativity is the glimpse of that real look that all of us are granted by the creator.So when the inner thought process becomes so intense that you cannot hold it to just yourself because it belongs to larger cosmos (you) or any one, writes/paints/sings /laughs/or some times just smiles, like the infants in their sleep .

I think that is the compulsion of creativity.Wink

You may find futher supportive argument at the link below:

http://sachmein.blogspot.com/2009/04/blog-post.html

A reaction on my veiws:

Brilliant! Love the way you have put this in words! I feel the same way too! In fact, I call my blog as the entity that looks at my reflection in the mirror through my eyes... my TRUE 'alter ego' perhaps ??? Or a 'split personality' perhaps?