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Monday, March 27, 2017

क्या है?
क्यूं है?

रंग है!
बू है!

ख्वाहिशें मिट गईं,
फ़िर भी आरज़ू है!

तीरगी मुकम्मल है,
रोशनी चार सू है।

मन्ज़िलें भटकतीं है,
किसकी ज़ुस्तज़ू है?

जाविदाँ तिश्नगी,
दर्द पुर सुकूं है।

दौलतें,रंजीद: दिल,
मुफ़लिसी बा वुज़ू है।