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Tuesday, January 25, 2011

बात अफ़साने सी!




चलो आज यूं ही कुछ कहने दो,
ज़िन्दगी बह रही है बहने दो।

पल खुशी के बहुत ही थोडे हैं,
गम के अफ़साने आज रहने दो।

फ़ूल तो फ़ूल हैं सूख जायेंगे,
सूखे पत्ते तो कब्र पे रहने दो।

बात दुनिया की रोज़ करते हैं,
आज तो दिल की बात कहने दो।

गैर की मेहरबानियाँ कमाल की हैं,
आज अपनों के दर्द सहने दो।

मैं अब खुद से मिल के डरता हूँ,
आईना आज मेरे आगे रहने दो।


सच कहुंगा तो वो बुरा मानेगें,
झूंठी और मीठी बात कहने दो।




15 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना।
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

    Happy Republic Day.........Jai HIND

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  2. बहुत सुन्दर रचना

    आप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं!

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  3. आपकी कविता बहुत बढ़िया लगी, सरल किन्तु प्रभावी | निजी तौर पर भी मैं ऐसी ही चीज़े पसंद करती हूँ जो सरल हो लेकिन अपना प्रभाव छोड़ जायें,सो आपकी कविता भी पसंद आई | "आईना आज मेरे आगे रहने दो" वाली पंक्ति बहुत अच्छी लगी|
    .
    .
    .
    शिल्पा

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  4. "सच कहुंगा तो वो बुरा मानेगें,
    झूंठी और मीठी बात कहने दो।"

    "सच में" आज यही सच है - सटीक और सार्थक प्रस्तुति - बधाई

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  5. बहुत खूबसूरती से सरल भाषा में दिल कि बात कह दी है आपने..

    हर शेर अपने-आप में पूरा है..

    ज़िन्दगी कि हकीकत-बयानी के लिए शुक्रिया..

    हर शेर कि दिल में उतरता सा जाता है...

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  6. सच कहुंगा तो वो बुरा मानेगें,
    झूंठी और मीठी बात कहने दो।

    Bahut umdaa

    Ek Gazhal aapke liye bhi...

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  7. देर से आया हूँ, लेकिन आना वसूल हो गया। हर शेर जबरदस्त। मज़ा-सा नहीं, मज़ा ही आ गया।

    गैर की मेहरबानियाँ कमाल की हैं,
    आज अपनों के दर्द सहने दो।
    मैं अब खुद से मिल के डरता हूँ,
    आईना आज मेरे आगे रहने दो।

    लेकिन आखिरी शेर, बुरा लगे या कड़वा लगे, हमें कभी कहियेगा तो सच ही कहियेगा।

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  8. bahut achhha likha hai...baaki posts bhi padhti hun...
    :-)

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  9. अच्छी रचना
    इस बार मेरे ब्लॉग में क्या श्रीनगर में तिरंगा राष्ट्र का अहित कर सकता है

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  10. पल खुशी के बहुत ही थोडे हैं,
    गम के अफ़साने आज रहने दो।


    आज इस बात को समझने की जरुरत है ....बहुत भाव पूर्ण रचना

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  11. "सच में" आज यही सच है - सटीक और सार्थक प्रस्तुति|

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  12. "सच में" आज यही सच है - सटीक और सार्थक प्रस्तुति|

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  13. सच कहुंगा तो वो बुरा मानेगें,
    झूंठी और मीठी बात कहने दो।

    वाह ! बहुत सुन्दर कविता है !

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  14. बहुत सुन्दर रचना।
    बधाई !

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