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Friday, December 31, 2010

गुफ़्तगू बे वजह की!



ज़रा कम कर लो,
इस लौ को,
उजाले हसीँ हैं,बहुत!
मोहब्बतें,
इम्तिहान लेती हैं
मगर! 

पहाडी दरिया का किनारा,
खूबसूरत है मगर,
फ़िसलने पत्थर पे
जानलेवा 
न हो कहीं!

मैं नही माज़ी,
मुस्तकबिल भी नही,
रास्ते अक्सर
तलाशा करते हैं
गुमशुदा को!मगर!

किस्मतें जब हार कर,
घुटने टिका दे,
दर्द साया बन के,
आता है तभी!



7 comments:

  1. drd ka saaya kb aata he shi khaa he apne bhut khub likhaa he mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. अब तो अपनी चवन्नी भी चलना बंद हो गयी यार
    दोस्तों पहले कोटा में ही किया पुरे देश में अपनी चवन्नी चलती थी क्या अपुन की हाँ अपुन की चवन्नी चलती थी ,चवन्नी मतलब कानूनी रिकोर्ड में चलती थी लेकिन कभी दुकानों पर नहीं चली , चवन्नी यानी शिला की जवानी और मुन्नी बदनाम हो गयी की तरह बहुत बहुत खास बात थी और चवन्नी को बहुत इम्पोर्टेंट माना जाता था इसीलियें कहा जाता था के अपनी तो चवन्नी चल रही हे ।
    लेकिन दोस्तों सरकार को अपनी चवन्नी चलना रास नहीं आया और इस बेदर्द सरकार ने सरकार के कानून याने इंडियन कोइनेज एक्ट से चवन्नी नाम का शब्द ही हटा दिया ३० जून २०११ से अपनी तो क्या सभी की चवन्नी चलना बंद हो जाएगी और जनाब अब सरकरी आंकड़ों में कोई भी हिसाब चवन्नी से नहीं होगा चवन्नी जिसे सवाया भी कहते हें जो एक रूपये के साथ जुड़ने के बाद उस रूपये का वजन बढ़ा देती थी , दोस्तों हकीकत तो यह हे के अपनी तो चवन्नी ही क्या अठन्नी भी नहीं चल रही हे फिर इस अठन्नी को सरकार कानून में क्यूँ ढो रही हे जनता और खुद को क्यूँ धोखा दे रही हे समझ की बात नहीं हे खेर इस २०१० में नही अपनी चवन्नी बंद होने का फरमान जारी हुआ हे जिसकी क्रियान्विति नये साल ३०११ में ३० जून से होना हे इसलियें नये साल में पुरे आधा साल यानि जून तक तो अपुन की चवन्नी चलेगी ही इसलियें दोस्तों नया साल बहुत बहुत मुबारक हो ।
    नये साल में मेरे दोस्तों मेरी भाईयों
    मेरे बुजुर्गों सभी को इज्जत मिले
    सभी को धन मिले ,दोलत मिले ,इज्जत मिले
    खुदा आपको इतना ताकतवर बनाये
    के लोगों के हर काम आपके जरिये हों
    आपको शोहरत मिले
    लम्बी उम्र मिले सह्तयाबी हो
    सुकून मिले सभी ख्वाहिशें पूरी हो
    जो चाहो वोह मिले
    और आप हम सब मिलकर
    किताबों में लिखे
    मेरे भारत महान के कथन को
    हकीकत में पूरा करें इसी दुआ और इसी उम्मीद के साथ
    आप सभी को नया साल मुबारक हो ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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  3. इन बेवजह की गुफ़्तगू का सिलसिला बना रहे, सर! इसी बहाने हम इन लाजवाब बिम्बों को निहार लिया करेंगे...

    अभी कल देर रात गये पंकज सुबीर जी के ब्लौग पर उनके पुराने पोस्टों से गुजर रहा था, तो आपके परिचय ने उल्लास से भर दिया। संदेह तो तनिक पहले से था जब एक बार आपने डांट पिलायी थी उस लाल किले वाली बात को लेकर...संदेह को यकीन में बदलते देखा कल रात आपकी एक तरही ग़ज़ल को पढ़ते हुये।...तो अब बात कब और कैसे हो सकती है सर?

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  4. किस्मतें जब हार कर,
    घुटने टिका दे,
    दर्द साया बन के,
    आता है तभी!
    सुंदर और मार्मिक भावपूर्ण प्रस्तुति...नूतन वर्ष २०११ की आप को हार्दिक शुभकामनाये.

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  5. किस्मतें जब हार कर,
    घुटने टिका दे,
    दर्द साया बन के,
    आता है तभी!
    Kya gazab kee baat kah dee aapne!
    Naya saal bahut,bahut mubarak ho!

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  6. aaj aapki kai rachnayen padhii ..man kya aatma bhi prasann ho gayii
    behatriin creations ek se badhkar ek

    मैं नही माज़ी,
    मुस्तकबिल भी नही,
    रास्ते अक्सर
    तलाशा करते हैं
    गुमशुदा को!मगर!

    किस्मतें जब हार कर,
    घुटने टिका दे,
    दर्द साया बन के,
    आता है तभी!

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  7. सुंदर और मार्मिक भावपूर्ण प्रस्तुति

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